: “नए दौर के इस रेस में न कोई जीत है, न कोई हार. लक्ष्य हासिल करने के लिए अब साथ–साथ चलने की जरूरत ह... : “नए दौर के इस रेस में न कोई जीत है, न कोई हार. लक्ष्य हासिल करने के लिए अब साथ...
वक़्त और लफ्जों के खेल वक़्त और लफ्जों के खेल
बचपन की वो नादानी जो हम किसी भी लड़की से बात करते थे आज तो डर लगता है बचपन की वो नादानी जो हम किसी भी लड़की से बात करते थे आज तो डर लगता है
नए ज़माने में रिश्तों में काफी सकारात्मक बदलाव आयें हैं, दामाद घर के बेटे जैसे काम करते हैं, बेटियों ... नए ज़माने में रिश्तों में काफी सकारात्मक बदलाव आयें हैं, दामाद घर के बेटे जैसे का...
रुकिए जरा महात्मा बुद्ध वाला शांति नहीं सुट्टा बाजारवाला शांति और देवदास। .... रुकिए जरा महात्मा बुद्ध वाला शांति नहीं सुट्टा बाजारवाला शांति और देवदास। ....
तब से यही सीख मिली है की जोश में कभी होश नही खोना चाहिए। तब से यही सीख मिली है की जोश में कभी होश नही खोना चाहिए।